इक्कीसवीं सदी अपने $25$ साल पूरे करने जा रही है। अगर हम पिछले ढाई दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों को पलटें, तो उसमें म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। साल $2000$ से लेकर $2025$ तक का यह सफर सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह भारतीय निवेशक की बदलती सोच और परिपक्वता का स्पष्ट सबूत है।
एक समय था जब शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड को अत्यधिक जोखिम से भरा माना जाता था, लेकिन आज यह हर मध्यमवर्गीय परिवार की वित्तीय योजना का अहम हिस्सा बन चुका है।
रिकॉर्ड तोड़ एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM)
ताजा आंकड़े भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की शानदार ग्रोथ की गवाही दे रहे हैं। इंडस्ट्री ने एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के मामले में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है:
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नवंबर $2025$ तक AUM: यह आंकड़ा ₹80.80 ट्रिलियन (लगभग ₹80.80 लाख करोड़) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है।
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चौंकाने वाली वृद्धि: यह वृद्धि इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि महज पाँच साल पहले, यानी $2020$ में यह आंकड़ा ₹30 लाख करोड़ के आसपास था।
यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार अब पहले से कहीं ज्यादा गहरा और मजबूत हो चुका है।
रॉकेट की रफ्तार से बढ़ी निवेशकों की पूंजी
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ की रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले $25$ सालों में इंडस्ट्री का आकार कई गुना बढ़ गया है:
| वर्ष |
कुल AUM (लगभग) |
मुख्य विशेषता |
| $2000$ |
₹1,03,452 करोड़ |
UTI का दबदबा ($66\%$ हिस्सेदारी) |
| $2020$ |
₹30 लाख करोड़ |
धीमी गति, फिर भी वृद्धि जारी |
| $2025$ |
₹80.80 लाख करोड़ |
5 सालों में लगभग तीन गुना छलांग |
$2020$ से $2025$ के बीच, यानी सिर्फ $5$ सालों में इंडस्ट्री ने लगभग तीन गुना छलांग लगाई। कोरोना काल के बाद से बाजार में जो तेजी आई और निवेशकों ने जिस तरह से भरोसा दिखाया, उसी का नतीजा है कि आज इंडस्ट्री ₹80 लाख करोड़ के विशाल आंकड़े को पार कर चुकी है।
करोड़ों भारतीयों का भरोसेमंद साथी बना SIP
इस ऐतिहासिक वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा हाथ आम भारतीय निवेशक और ‘सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान’ (SIP) का है। अब निवेश सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गया है; छोटे शहरों और कस्बों से आने वाले नए निवेशकों ने बाजार को नई ऊंचाई दी है।
इसका प्रमाण निवेशकों के खातों या ‘फोलियो’ की संख्या में दिखता है:
यह स्पष्ट करता है कि लोग अब पारंपरिक बचत साधनों से हटकर इक्विटी में लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने को तैयार हैं। SIP ने निवेश को एक आदत में बदल दिया है, जिससे हर महीने बाजार में एक निश्चित रकम आ रही है और बाजार को स्थिरता मिल रही है। भारतीय निवेशक अब समझदार हो गया है। वह बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय लंबी अवधि के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।